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परिचय: प्रेम और विवाह की देवी कात्यायनी माता
देवी दुर्गा के छठे स्वरूप माता कात्यायनी को प्रेम, विवाह और सौंदर्य की देवी कहा गया है।
पुराणों के अनुसार, जब वृंदावन की गोपिकाएँ भगवान श्रीकृष्ण को पति रूप में प्राप्त करना चाहती थीं, तब उन्होंने माता कात्यायनी की आराधना की थी।
इसलिए आज भी जो कन्याएँ शीघ्र विवाह की इच्छा रखती हैं या जिनके प्रेम में रुकावटें हैं, वे श्रद्धा से कात्यायनी माता मंत्र का जाप करती हैं।
यह मंत्र केवल विवाह नहीं, बल्कि आत्मिक शांति, सकारात्मकता और प्रेम का भी प्रतीक है।

प्रमुख कात्यायनी माता मंत्र (All Katyayani Mata Mantras with Meaning)
1. कात्यायनी विवाह मंत्र (Katyayani Mantra for Marriage)
ॐ कात्यायनि महामाये महायोगिन्यधीश्वरि।
नन्दगोपसुतं देवि पतिं मे कुरु ते नमः॥
अर्थ:
हे महामाया कात्यायनी माता! आप योगिनियों की अधीश्वरी हैं।
हे देवी! कृपा कर नन्दगोप के पुत्र श्रीकृष्ण (सच्चे जीवनसाथी) को मेरे पति रूप में प्रदान करें।
महत्व:
यह सबसे प्रसिद्ध कात्यायनी माता मंत्र है — विवाह में आ रही अड़चनों को दूर करता है,
और प्रेम-विवाह की संभावना को मजबूत बनाता है।
2. कात्यायनी बीज मंत्र (Katyayani Beej Mantra)
ॐ ह्रीं कात्यायन्यै नमः॥
अर्थ:
मैं देवी कात्यायनी को नमस्कार करता/करती हूँ, जिनका बीजाक्षर “ह्रीं” समस्त सृष्टि की शक्ति का प्रतीक है।
महत्व:
यह मंत्र मन को शुद्ध करता है, नकारात्मकता दूर करता है और देवी-ऊर्जा को जागृत करता है।
इसका जाप साधक के चारों ओर दिव्य आभामंडल बनाता है।
3. कात्यायनी स्तुति मंत्र (Katyayani Stuti Mantra)
चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्याद् देवी दानवघातिनी॥
अर्थ:
जिनके हाथ में चमकती तलवार है, जो सिंह पर आरूढ़ हैं,
वे दानवों का संहार करने वाली देवी कात्यायनी हमें शुभफल प्रदान करें।
महत्व:
यह मंत्र साहस, आत्मबल और भय-निवारण के लिए श्रेष्ठ है।
यदि जीवन में रुकावटें या डर हों, तो यह मंत्र देवी की शक्ति से आपको सुरक्षित रखता है।
4. कात्यायनी शक्ति मंत्र (Katyayani Shakti Mantra)
ॐ देवी कात्यायन्यै नमः।
सर्वशक्तिमयि देवी सर्वमंगल कारणे।
सर्वरोगनिवारिणि देवी नमोऽस्तुते॥
अर्थ:
हे कात्यायनी माता, आप सर्वशक्ति-स्वरूपा हैं,
सभी मंगल की कारण हैं और सभी रोग-कष्टों को हरने वाली हैं।
आपको मेरा शत-शत नमन।
महत्व:
यह मंत्र स्वास्थ्य, समृद्धि और पारिवारिक सुख के लिए अत्यंत उपयोगी है।
जो व्यक्ति इसका नियमित जाप करता है, उसे शारीरिक और मानसिक संतुलन प्राप्त होता है।
5. कात्यायनी ध्यान मंत्र (Katyayani Dhyana Mantra)
वन्दे वान्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
सिंहारूढां च शार्दूलहस्तां कात्यायनी शुभां॥
अर्थ:
मैं उस कात्यायनी देवी को प्रणाम करता हूँ,
जिनके मस्तक पर अर्धचंद्र है, जो सिंह पर सवार हैं और
अपने हाथों में बाघ की शक्ति धारण करती हैं।
महत्व:
ध्यान मंत्र साधक के मन को स्थिर करता है,
माता की कृपा को साकार अनुभव कराने में सहायता करता है।
मंत्र जाप की विधि (How to Chant Katyayani Mata Mantras)
🪔 1. शुद्धि और संकल्प
- सुबह स्नान करें, स्वच्छ लाल या गुलाबी वस्त्र पहनें।
- माता की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाएँ।
- संकल्प लें — “मैं प्रेम, विवाह, और सुख-शांति की प्राप्ति हेतु माता कात्यायनी का मंत्र जाप कर रही/रहा हूँ।”
🧘 2. सही दिशा और आसन
- पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें।
- लाल आसन पर आसीन हों और सामने ताजे फूल, जल और अगरबत्ती रखें।
3. जाप की संख्या
- 108 बार (1 माला) प्रतिदिन करें — लगातार 21 दिनों तक।
- सबसे उत्तम समय: ब्रह्ममुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे) या संध्या काल।
4. सावधानियाँ
- जाप के दौरान नकारात्मक विचार, क्रोध या अपशब्दों से बचें।
- सात्विक आहार लें और मन को शांत रखें।
- हर जाप के बाद माता को धन्यवाद दें।
कात्यायनी माता मंत्र के लाभ (Benefits of Katyayani Mata Mantra)
- विवाह में आने वाली बाधाओं का निवारण
- देरी, ग्रहदोष या असहमति जैसी समस्याएँ दूर होती हैं।
- सच्चे प्रेम की प्राप्ति
- जिनके रिश्ते अधूरे या कमजोर हैं, उनमें पुनः सौहार्द आता है।
- मानसिक शांति और आत्मबल
- यह मंत्र मन की चंचलता दूर कर ध्यान केंद्रित करता है।
- घर-परिवार में सुख-शांति
- देवी की कृपा से घर का वातावरण पवित्र और सकारात्मक बनता है।
- आध्यात्मिक उन्नति और आत्म-संतोष
- साधक के भीतर प्रेम, करुणा और स्थिरता का भाव विकसित होता है।
कात्यायनी व्रत और पूजा विधि (Devi Katyayani Puja & Vrat)
- यह व्रत मार्गशीर्ष मास (दिसंबर) में आरंभ किया जाता है।
- कन्याएँ नौ दिन तक उपवास रखकर हर दिन माता का पूजन और मंत्र-जाप करती हैं।
- दशम दिन हवन, फलाहार और प्रसाद वितरण के साथ व्रत पूर्ण होता है।
इस व्रत से मनोकामना सिद्धि, विवाह-योग की प्राप्ति और देवी-कृपा साकार होती है।
निष्कर्ष (Conclusion)
कात्यायनी माता मंत्र केवल ध्वनि नहीं, एक दैवी तरंग है जो आपके प्रेम, भाग्य और आत्म-विश्वास को सक्रिय करती है।
चाहे आप प्रेम-विवाह चाहते हों या जीवन में शांति — माता का स्मरण अवश्य करें।
हर जाप के साथ ब्रह्मांड आपकी ऊर्जा से संगत हो जाता है।
श्रद्धा रखें, नियमित जाप करें और देखें — प्रेम, सुख और सौभाग्य आपके जीवन में स्वतः प्रवेश करेगा।
🙏 माता कात्यायनी की कृपा सदैव आप पर बनी रहे। 🙏
FAQs – कात्यायनी माता मंत्र से जुड़े सामान्य प्रश्न
1. कात्यायनी माता मंत्र कब जाप करना चाहिए?
सबसे शुभ समय ब्रह्ममुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे) का होता है।
हालाँकि संध्या समय भी किया जा सकता है, बशर्ते वातावरण शांत और मन पवित्र हो।
2. कात्यायनी माता मंत्र कितनी बार जाप करना चाहिए?
प्रतिदिन 108 बार (1 माला) जाप करें।
इसे लगातार 21 दिनों तक करने से शुभ परिणाम मिलने लगते हैं।
3. क्या विवाहित महिलाएँ भी यह मंत्र जप सकती हैं?
हाँ, अवश्य। विवाहित महिलाएँ यह मंत्र अपने वैवाहिक जीवन में प्रेम और शांति बनाए रखने के लिए जप सकती हैं।
4.क्या पुरुष भी कात्यायनी माता मंत्र का जाप कर सकते हैं?
हाँ, पुरुष भी कर सकते हैं। यह मंत्र केवल महिलाओं के लिए नहीं है —
यह सच्चे प्रेम, सामंजस्य और मानसिक शांति के लिए सभी के लिए प्रभावी है।
5.कात्यायनी माता की पूजा के लिए क्या चाहिए?
लाल या गुलाबी फूल, अगरबत्ती, दीपक, प्रसाद (खीर या फल), और शुद्ध जल।
पूजा के बाद “ॐ ह्रीं कात्यायन्यै नमः” का जाप सर्वोत्तम माना जाता है।